हिन्दुओं और मुसलमानों के पुरखों की विरासत एक है हिन्दू-मुस्लिम संवाद केन्द्र के जरिये हल होंगी समस्याएं

● किसी भी संघर्ष का संवाद के जरिये हल निकाला जा सकता है।
● जौनपुर में शुरू हुआ हिन्दू-मुस्लिम संवाद केन्द्र।
● पुरखों के इतिहास में छुपा है एकता और शांति का मंत्र।
● अपने पुरखों की संस्कृति को न भूलें, जड़ों से जुड़े रहें।

केराकत (जौनपुर), 5 नवम्बर। जहाँ समाज में नफरत का बीज बोकर लोगों को लड़ाने और इंसानियत को खत्म करने की साजिश चल रही है, वहीं दिलों को जोड़कर रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए बीएचयू के एक प्रोफेसर ने अपना पूरा जीवन लगा दिया। विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं बीएचयू के इतिहास के प्रोफेसर डॉ० राजीव श्रीगुरुजी ने हिन्दू-मुसलमानों के बीच नफरत की खाई को भरने और मोहब्बत का पैगाम देने के लिए देशभर में लगातार दौरा कर रहे हैं, उनको सुनने के लिए भारी संख्या में लोग जुट रहे हैं, खासकर मुस्लिम समाज के लोग।

विशाल भारत संस्थान द्वारा संचालित हिन्दू-मुस्लिम संवाद केन्द्र के जरिये पुरखों के इतिहास की खोज, हिन्दू मुसलमानों के बीच पुराने संघर्षों के कारणों का पता करना एवं हल निकालना, आपसी संवाद को कायम रखने एवं एक दूसरे की मदद कर सामाजिक सहभागिता को बढ़ावा देना, जड़ों की तलाश करना और भारतीय संस्कृति से जोड़ने एवं शांति स्थापना पर शोध किया जाएगा। धार्मिक उन्माद, नफरत और हिंसा के जरिये समाज को बांटने की साजिशों के बीच विशाल भारत संस्थान ने ऐतिहासिक तथ्यों और साक्ष्यों के साथ बड़ी पहल कर दी है। संवाद के साथ शांति और आपसी रिश्तों को मजबूत करने के लिए जौनपुर के केराकत क्षेत्र में हिन्दू-मुस्लिम संवाद केन्द्र के जिला कार्यालय को बंजारेपुर में स्थापित किया गया। केन्द्र कार्यालय का उद्घाटन हिन्दू-मुस्लिम संवाद केन्द्र की नेशनल कोऑर्डिनेटर दीदी आभा भारतवंशी ने नारियल फोड़कर, फीता खोलकर और दीपोज्वलन कर किया। इस अवसर पर हिन्दुओं और मुसलमानों के पुरखो की विरासत और सामाजिक सहभागिता विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गयी।

इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ० राजीव श्रीगुरुजी ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि अगर नेताओं के पास धर्म जाति के नाम पर नफरत फैलाने का बहाना है तो हमारे पास भी पुरखों, विरासत, संस्कृति और खून के नाम पर एक होने का मजबूत पक्ष है। लड़ाने और बांटने वाले जितनी भी मेहनत कर लें हमारी एकता, प्यार और रिश्तों को नहीं तोड़ सकते। पुरखों के इतिहास की तलाश से हमारी जड़े एक ही मिलेंगी। कोई भी मुसलमान अरब से नहीं आया है। खेत खलिहान, खानदान, खून और परम्पराओं से यहीं का है। धर्म बदलने से न जाति बदली और न परम्पराएं। पूर्वज एक ही हैं तो नफरत है किस बात की। आपसी संघर्ष को संवाद के जरिये ही हल किया जा सकता है। कुछ गांवों को शांति और एकता के मॉडल के रूप में स्थापित करना होगा जिससे पूरा देश सीख ले सके। पहले संघर्ष के कारणों का पता लगाएंगे, फिर उस पर संवाद कर सहमति जुटाएंगे, तो हल निकल जायेगा। दुनियांभर में ऐसी संस्कृति नहीं जो दूसरों के मदद का पाठ पढ़ाती हो। भारतीय संस्कृति में रिश्तों की ताकत है जो किसी भी धर्म से ऊपर है। धर्मों के रहनुमाओं को अब ये सोचना पड़ेगा कि सड़क पर खून बहाकर किसी की जिंदगी खत्म कर देनी है या हॉस्पिटल में खून देकर किसी की जिंदगी बचानी है। धार्मिक उन्माद से पत्थरबाजी करने वाले अब ये सोचें कि उन्हें मिला क्या ? सिवाय पुलिस की प्रताड़ना, जलालत और मुकदमों के। अब सबको मिलकर यह सोचना पड़ेगा कि अमन और मोहब्बत से ही इज्जत से रोटी मिलेगी और समाज में मुकाम हासिल होगा। देश को तरक्की के रास्ते पर ले जाने वाला, अपने वतन से मोहब्बत करने वाला ही अब सम्मान पायेगा, जो देश के खिलाफ होगा उसे रुसवाई और जलालत ही नसीब होगी। संवाद केन्द्र आपसी सहभागिता का भी पाठ पढ़ायेगा और व्यवहारिक तरीका सिखाएगा, जिससे रिश्ते मजबूत हो, प्रेम और शांति बढ़ सके।

उद्घाटनकर्ता आभा भारतवंशी ने कहा कि पुरखों के अतीत को भुला देने से समाज की अवनति होती है। भारत के प्रत्येक समुदाय को अपने पूर्वजों की पहचान, रीति-रिवाज एवं परम्पराओं की जानकारी होना आवश्यक है। हमारा देश विभिन्न मतों एवं संप्रदायों का देश है, जो एक साथ रहकर भी संघर्ष करने में यकीन नहीं रखता। लम्बे समय से हिन्दू और मुसलमान साथ-साथ रहते आये है। दोनों एक दूसरे से रिश्तों की बागडोर में बंधे हैं। इनको पुनः अपने रिश्तों और पूर्वजों को याद करना होगा, जिससे इनकी सामाजिक सहभागिता बढ़ सके।

विशिष्ट अतिथि भारतीय अवाम पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ० नजमा परवीन ने कहा कि धर्म के नाम पर एक दूसरे को बांटने और आपसी मतभेद एवं लड़ाई को बढ़ाने वाले नेताओं और कट्टरपंथियों का बहिष्कार करें। देश को तोड़ने वालों के लिये हर समाज को बहिष्कार आन्दोलन चलाना पड़ेगा। देश को जोड़ने और अखण्ड भारत की स्थापना की राजनीति करने वाले ही सच्चे देशभक्त हैं।

अध्यक्षता करते हुए अनाज बैंक के डिप्टी चेयरमैन ज्ञान प्रकाश ने कहा कि अब समाज जाति और पंथ से ऊपर उठने लगा है। नफरत फैलाने वालों के दिन लद गए। समाज को एक करने वाले सामाजिक नेताओं की जरूरत है।

विशाल भारत संस्थान के जिला चेयरमैन नौशाद शेख ने कहा कि हम अपने पूर्वजों के रास्ते पर ही चलेंगे। अब विदेशी संस्कृति को अपना नहीं सकते। हजारो सालों से जिस संस्कृति में पले बढ़े उससे अलग होना अपनी पहचान को खत्म करना है। कोई भी व्यक्ति अपनी पहचान के बिना रह नहीं सकता।

संगोष्ठी का संचालन विशाल भारत संस्थान की राष्ट्रीय महासचिव डॉ० अर्चना भारतवंशी ने किया एवं धन्यवाद अलाउद्दीन भुल्लन ने दिया। इस कार्यक्रम में खलिकुज्ज्मा, मोहम्मद आदिल शेख, सादिक शेख, सपन शुक्ला, संतोष प्रधान, मोहम्मद आजम, फरहान अहमद, हिमांशु राय, महेन्द्र सिंह, अक्सम आदि लोगों ने भाग लिया।

जिला संवाददाता पंकज सिंह जौनपुर

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