पशुओं के आहार मे अहम भूमिका निभा सकता है बाजरा- डॉ.अमित कुमार सिंह

केराकत। क्षेत्र के ग्राम अमिहित में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के युवा वैज्ञानिक डॉ अमित कुमार सिंह (कृषि वैज्ञानिक पशुपालन) ने किसानों की एक गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि पशुओं के आहार में बाजरा अहम भूमिक निभा सकता है। बाजरा मुख्य रूप से मोटे अनाज की फसल के रूप मे उगाया जाता रहा है। यह उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों से लेकर शुष्क क्षेत्रों मे भी उगाया जा सकता है। लंबे समय तक इसे कमतर अनाज के रूप मे माना जाता था जिसे अधिकतर समाज के गरीब वर्ग के लोग खाद्य के रूप मे लेते थे। लेकिन अब यह धारणा बदल गयी है। लोगों को बाजरे से निर्मित खाद्य उत्पादों के गुणो के बारे मे ज्ञान हो रहा है। बाजरा निर्मित खाद्य की माँग बाजार मे बढ़ गयी है जिससे किसानो की आमदनी बढ़ रही है। बाजरा मानव के साथ जानवरों के खाद्य मे भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बढ़ती जनसंख्या के कारण खाद्य सामग्रियों पर लगातार पड़ रहे दबाव को कम करने मे बाजरा काफी सहायक हो सकता है। बदलते जलवायु और पानी की कमी के प्रकोप से उबारने मे और एक टिकाऊपन प्राप्त करने मे बाजरा अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बाजरे मे पोषक तत्वों की विविधता ​बाजरे मे प्रचुर मात्र मे पोषक तत्व समाहित होते हैं। इसमे 8-14प्रतिशत प्रोटीन, 6-10प्रतिशत वसा, 3-4प्रतिशत रेशा, 3-3.5प्रतिशत खनिज पदार्थ पाये जाते हैं। साथ ही इसमे ऊष्मा बेहतर मात्र मे होती है। शोधो मे पाया गया की बाजरे मे अमीनो अम्ल की गुणवत्ता मक्के से बेहतर होती है साथ ही विटामिन और खनिज पदार्थ प्रचुर मात्र मे उपस्थित होते हैं। गौरतलब है की बाजरा ग्लूटेन रहित होता है जिससे एलर्जि की समस्या उत्पन्न नहीं होती है। बाजरा आधारित खाद्य आसानी से पाच्य होते हैं। बाजरा हर वर्ग के मनुष्यों के लिए बेहतर होता है। उच्च फाइबर होने के कारण बाजरे के सेवन से पाचन क्रिया धीमी हो जाती है जिससे पोषक तत्वों का बेहतर अवशोषण होता है। ​बाजरा पशुओं के भोजन के साथ-साथ मुर्गियों के आहार मे भी उत्पादन को बिना प्रभावित किए इस्तेमाल किया जा सकता है। शोधों मे यह पाया गया है कि ब्रोईलर और अंडे देने वाली मुर्गियों के भोजन मे मक्के को 50प्रतिशत तक बाजरे से प्रतिस्थापित किया जा सकता है। इस प्रतिस्थापन से मुर्गियों के प्रदर्शन पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं देखा गया है। जबकि ब्रोईलेर उत्पादन मे बाजरे से बेहतर उत्पादन भी प्राप्त हो सकता है। भारतीय परिवेश मे बाजरा से बकरियों मे एक किफ़ायती मिश्रित दाना प्राप्त किया जा सकता है। गौरतलब है कि गायों के मिश्रित दाने मे मक्के को पूरी तरह से बाजरे से प्रतिस्थापित किया जा सकता है।

जिला संवाददाता पंकज सिंह जौनपुर

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