ललित उपाध्याय के घर खुशी का माहौल, पिता ने कहा मित्र शाहिद के बाद बेटे को मिला अर्जुन अवार्ड, गर्व से हुआ सीना चौड़ा

वाराणसी। हॉकी ड्रिबलिंग के जादूगर पद्मश्री मोहम्मद शाहिद के बाद 41 साल का पदक का सूखा खत्म होने के साथ ही काशी से हॉकी टीम के सदस्य ललित उपाध्याय को अर्जुन अवार्ड मिला। नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति ने ललित को यह सम्मान दिया। वाराणसी में ललित के परिवार ने इस गौरवपूर्ण पल को टीवी पर देखा और मोहल्ले भर में मिठाइंया बटवाईं। इस गौरवांवित पल के साक्षी ललित के बड़े भाई अमित उपाध्याय भी बनें। अमित ने बताया कि यह खुशी शब्दों में बयान नहीं की जा सकती। छोटे भाई के सपने को पूरा होते हुए देखना एक अलग ही अनुभव रहा। पूरे काशी को ललित पर ललित के पिता सतीश उपाध्याय ने बताया कि ललित तीन दिन पहले ही यहां से गए हैं। डिक्लेरेशन के बाद उन्हें अपने डॉक्यूमेंट्स पूरे करने थें। उन्होंने कहा मैं तो पिता हूं जो हर कदम पर ललित के साथ रहा, पर ललित को नर्सरी से लेकर इस मुकाम तक पहुंचाने वाले शिक्षकों को कितनी खुशी होगी।पिता सतीश ने बताया कि 41 साल पहले अजुर्न पुरस्कार जीतने वाले मो. शाहिद उनके क्लासमेट थे। वो और शाहिद कक्षा 10 तक साथ में पढ़े थें। उन्होंने कहा कि इससे ज्यादा खुशी की बात क्या होगी कि जो सम्मान मेरे मित्र को मिला वही सम्मान 41 साल बाद मेरे बेटे को भी मिला।अमित ने कहा कि मो शाहिद के बाद 41 साल बाद हॉकी में ही यह सम्मान भाई ललित को मिला इसे बड़ी खुशखबरी की बात क्या हो सकती है। बाबा विश्वनाथ से यही प्रार्थना है कि ऐसे ही उनकी कृपा हमेशा बना रहे, ताकि ललित और आगे जाए। उन्होंने बताया ट्रेन से अर्जुव अवार्ड को लेकर काशी आने का भी अनुभव खास रहा। सभी ने पूछा तो मैंने उन्हें बताया कि यह सम्मान मेरे भाई को मिला हैवहीं ललित की मां रीता उपाध्याय ने बताया कि हमने कभी नहीं सोचा था कि बेटे को इतना बड़ा सम्मान मिलेगा। रविवार को सुबह जब बड़ा बेटा अमित पुरस्कार लेकर घर आया तो हम अपने आंसू नहीं रोक पाएं। टीवी पर बेटे को अर्जुन पुरस्कार मिलते भी पूरे परिवार ने देखा।ललित की मां ने बताया कि रिश्तेदारों और परिवार में जैसे ही सबको पता चला कि ललित को अजुर्न पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा तो सभी का शुभकामनाएं देने के लिए फोन आने लगा। भगवान से यही दुआ रहती है कि ललित को ऐसे ही कामयाबी मिलती रहे और वो देश और काशी का नाम रौशन करता रहे।

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