श्री राय ने श्री मौर्य के वक्तव्य पर त्वरित प्रतिक्रिया में कहा है कि हम दोनों की पैदाइश एक ही सन् 1969 की है, पर उनसे 16 वर्ष पहले से और पांच बार जीता कर लगातार विधायक रहा हूं। आज भी सत्ता के शीर्ष दुर्गों से टकराते रहने के लोकतांत्रिक संघर्ष की राजनीतिक पहचान जीता हूं। अकारण श्री मौर्य की बचकानी टिप्पणी उनके ही राजनीतिक संस्कार का स्तर दर्शाती है। उनके दल की आज खासियत यही है कि वहां “सूप तो सूप, चलनियां और ज्यादा बोलती हैं”। भाग्य ने बिना पात्रता के उन्हें जिस पद पर आसीन कर दिया है, कम से कम उसकी मर्यादा का तो मुंह खोलते वक्त ध्यान रखा करें।
श्री राय ने कहा कि राजनीतिक लाभ के लिये सनातन धर्म की बातें करते समय उप मुख्यमंत्री को यह ध्यान रखना चाहिये कि सनातन धर्म के संतों के आंदोलन में मुझे जेल भेजा गया, उनकी केन्द्र सरकार ने रासुका लगवाया, जिससे अदालत ने मुझे बाइज्जत बरी किया। साथ ही संत समाज के आन्दोलन से जुड़े उस मुकदमे में उनकी प्रदेश सरकार ने केवल एक अजय राय को छोड़ संतों एवं आन्न्दोलन में शामिल राजनीतिक एवं अन्य लोगों के विरुद्ध केस वापस लिया है। ऐसे राजनीतिक विद्वेष की उनकी सरकार की रीति नीति के बावजूद अजय राय तो सनातन समाज हो या सर्व समाज, उनके जायज मुद्दों की लड़ाई लड़ते रहेंगे।
=अजय राय,
अध्यक्ष,
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी
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