वाराणसी कमिश्नर से विधवा पीड़ित महिला ने 3 लाख 40 हजार की धोखाधड़ी के संबंध में लगाई न्याय की गुहार,

उच्चाधिकारियो के आदेश के बाद ACP कोतवाली के निष्पक्ष जांच की गई जिसमे प्रथमदृष्टया मामले को सही पाते हुए धारा 419,420,406,409 ipc का अपराध बताया,ACP कोतवाली द्वारा उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट प्रेषित की गई,तब इस संबंध में FIR दर्ज किए जाने का निर्देश दिए गए,पति की मौत,जब बच्चे बाल्यकाल की अवस्था में थे तभी हो गईं थीं, मां माधुरी मिश्रा के द्वारा ही बच्चो का पालन पोषण करके अपने बड़े युवा पुत्र को उत्तर प्रदेश पुलिस में दरोगा के पद पर चयनित हुए, मां माधुरी मिश्रा अपने बड़े पुत्र पर ही पूर्णतया आश्रित थी

वाराणसी कमिश्नर,अपर पुलिस आयुक्त के आदेशो के बावजूद
कोतवाली इंस्पेक्टर अश्वनी चतुर्वेदी दर्ज नही कर रहे थे विधवा पीड़ित महिला का FIR,10 दिन कोतवाली थाना की चक्कर काटती रही, यह 60 वर्षीय विधवा महिला, उच्चाधिकारियों के आदेश को दरकिनार करते हुए इंस्पेक्टर कोतवाली अश्वनी चतुर्वेदी द्वारा 10 से 12 दिन बाद मनमाने तरीके से FIR लिखी गयी और धारा को कम किया गया, ACP कोतवाली की जाँच पर पीड़िता विधवा महिला माधुरी मिश्रा की FIR विपक्षी के विरुद्ध 419, 420, 4069 409 भा.द. सं0 के तहत पंजीकृत करने हेतु पुलिस उच्चाधिकारियों द्वारा कमिश्नरेट पुलिस इंस्पेक्टर कोतवाली अश्वनी चतुर्वेदी को आदेशित किया गया था। परन्तु इंस्पेक्टर कोतवाली द्वारा पहले तो पीड़िता विधवा महिला माधुरी मिश्रा उम्र 60 वर्ष को कोतवाली थाना से भगा दिया गया फिर पीड़िता के पुनः उच्चाधिकारियों के समक्ष प्रार्थना पत्र देने के बाद इंस्पेक्टर कोतवाली द्वारा – 419, 409 भा.द.स० को हटाकर विधवा पीड़ित महिला की FIR 10 से 12 दिनों के बाद दर्ज की गयी,पीड़िता का आरोप है कि इंस्पेक्टर कोतवाली विपक्षीगण से मिले हुए है, इसीलिए पीड़िता की FIR उच्चाधिकारियों के आदेश के बावजूद भी दर्ज नही कर रहे थे। और 10 दिनों के बाद दर्ज भी किये FIR, तो संगीन धाराओं को उन्होंने हटा दिया ताकि विपक्षी को लाभ मिल सके।

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