सीएचएस में लाटरी सिस्टम जुआ प्रणाली को करना प्रवेश समाप्त करना योग्यताओ का गला घोंटने के बराबर – अजय राय

वाराणसी। सोमवार को एक बयान जारी कर वरिष्ट कांग्रेस के नेता पूर्व मंत्री अजय राय ने कहा की बीएचयू से सम्बद्ध सेंट्रल हिन्दू स्कूल (सीएचएस) में लाटरी सिस्टम (जुआ प्रणाली) द्वारा प्रवेश प्रक्रिया समाप्त करना योग्यताओ का गला घोंटने के बराबर है।काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान राष्ट्र निर्माण जैसे महान उद्देश्यों को ध्यान में रखकर की सन 1916 में की गई थी।यह विश्वविद्यालय महामना मदन मोहन मालवीय,महाराजा काशी नरेश,एनी बेसेंट,महाराजा दरभंगा रामेश्वर सिंह,भगवान दास जैसी अनगिनत विभूतियों के आजीवन त्याग तपस्या का परिणाम है। देश की आजादी की लड़ाई में इस विश्वविद्यालय के छात्रों, शिक्षकों कमर्चारियों ने अतुलनीय योगदान दिया है। अमरशहीद राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी ने यहीं एमए इतिहास के विद्यार्थी रहते हुए आजादी की लड़ाई लड़े और फांसी के फंदे को चूमा। जब देश आजाद हुआ तो संविधान में 389 सदस्य थे और उन 389 में से 89 सदस्य किसी न किसी रूप में बीएचयू से सम्बंधित रहे थे।बीएचयू से ही संबद्ध सेंट्रल हिंदू स्कूल का इतिहास भी गौरवशाली और रहा है, यह बीएचयू से भी पहले स्थापित 1898 में एनी बेसेंट के प्रयासों से स्थापित हुआ जिसने राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाने वाले तमाम छात्रों को तैयार किया है। स्थापना से लेकर अब तक सेंट्रल स्कूल ने बीएचयू की एक मजबूत नीवं के रूप में भी कार्य किया है जिससे ऊपर विश्वविद्यालय की बुलन्द ऐतिहासिक इमारत खड़ी है।सीएचएस द्वारा निकले बच्चे आज देश सेवा में कही न कही अग्रसित है।लेकिन विगत 2 सालों मे कोरोना के नाम पर सीएचएस की प्रवेश परीक्षा को बंद करके लॉटरी और दसवीं के परसेंटेज पर प्रवेश दिया जाने लगा। इस साल भी बीएचयू ने सीएचएस की प्रवेश परीक्षा ना करा कर पुनः उसी जुआ प्रणाली और परसेंटेज के आधार पर प्रवेश देने का निर्णय लिया है।इस तरह की प्रणाली सीएचएस प्रवेश प्रक्रिया की विश्वसनीयता और प्रतिष्ठा पर सवालिया निशान खड़ा करती है,यह योग्यताओं पर आघात है।इस तरह की खोखली और भ्रष्ट प्रणाली को खत्म किया जाना चाहिए जिससे कि प्रवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता आए।बच्चे जो अपने भविष्य सवारने हेतु तैयारी करते है मेहनत करते है उनके योग्यता पर आघात है यह निर्णय है।लाटरी सिस्टम भी जितनी निंदा की जाए कम है।शिक्षा व्यवस्था से खिलवाड़ नही होना चाहिए क्योंकि शिक्षा ही विकास का मूल आधार है।

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