वाराणसी
पूर्वांचल के 10 जिले विंध्य क्षेत्र की पहाडिय़ों से लेकर गंगा-गोमती के संगम व सरयू-तमसा नदियों के उपजाऊ मैदान तक करीब 350 किलोमीटर में फैले हैं। केंद्र में है भारत की सांस्कृतिक राजधानी व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी जो बीते सात वर्षों में बनारस देश-दुनिया के सामने विकास के माडल के रूप में उभरा है। क्षेत्र के पांच जिले बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ से सीधे जुड़े हैं। यहां के 61 विधानसभा क्षेत्र पांच कालिदास मार्ग (मुख्यमंत्री निवास) तक का रास्ता सुगम करते हैं। यह भी देखना होगा कि रिकार्ड समय में बना पूर्वांचल एक्सप्रेसवे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लखनऊ के दूसरे सफर को कितना सुगम बनाता है। अभी तक पूर्वांचल की सियासत जाति-धर्म के इर्द-गिर्द घूमती रही है। इस बात पर भी नजर रहेगी कि विकास के हथियार से योगी को यह मिथक तोडऩे में किस हद तक सफलता मिली है।
पांच वर्षों में बदली है शासन संचालन की रणनीति
राजनीति का मतलब सिर्फ अपने फायदे पर नजर रखना। शासन चलाने की इस रणनीति को योगी आदित्यनाथ ने बदल दिया है। पिछली बार मोदी लहर में उन्होंने सोनभद्र, मीरजापुर, चंदौली व वाराणसी में जहां एकतरफा जीत हासिल की, वहीं सपा के गढ़ आजमगढ़ में मुश्किल से खाता खुला। इस बार भाजपा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय, पूर्वांचल एक्सप्रेसवेे, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे, मंदुरी एयरपोर्ट से लगायत सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं के बूते खम ठोक रही है। सत्ता के उलटी तरफ चलने वाले जौनपुर को वर्षों से लटके मेडिकल कालेज संग ङ्क्षरगरोड और कई फोरलेन मिले। मीरजापुर, चंदौली, सोनभद्र संग गाजीपुर को भी मेडिकल कालेज मिला। गाजीपुर के लोगों ने तो 2019 के लोकसभा चुनाव में रेल मंत्री मनोज सिन्हा को खारिज कर दिया था।
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