देश के कानून में भी दिखने लगा आपसी विद्वेष-अधि.विकास सिंह

देश में जिस तरह से राजनीतिक पार्टियों में आपसी विद्वेष दिख रहा है, उसका असर अब देश के संविधान और कानून पर भी पड़ने लगा है। जिस तरह से इंडियन पीनल कोड की जगह अब भारतीय न्याय संहिता कर दिया जाना, यह दर्शाता है कि अब आपसी मतभेद राजनैतिक मतभेद से ज्यादा हो गई है।
राजनीति में जिस तरह से विद्वेष फैल रहा है, वह हमारे आने वाली पीढ़ियों के लिए अत्यंत घातक होने वाली है। इसकी आग में सभी बराबर जलेंगे। शायद यह राजनैतिक विद्वेष फैलाने वाले लोग भूल गए हैं। उक्त बातें युवा कांग्रेस के प्रदेश सचिव व अधिवक्ता विकास सिंह ने कही।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस जिस तरह से सभी को जोड़कर इंडियन शब्द का इस्तेमाल अपने राजनीतिक दौर में कर रही है, उसको लेकर वर्तमान भाजपा सरकार ने इंडियन शब्द से परहेज करते हुए संविधान और कानून में संशोधन करते हुए इंडियन पीनल कोड में से इंडियन शब्द को ही हटा दिया और अब उसकी जगह भारतीय न्याय संहिता करते हुए जिस तरह से लोकसभा में बिल पेश किया है, उससे उनकी मानसिकता साफ झलक रही है कि उन्हें इंडियन शब्द से ही परहेज है। इसी तरह राजद्रोह कानून में जिस तरह से बदलाव किया गया है, उसमे अब राजद्रोह का कानून खत्म होगा. इसकी जगह अब धारा 150 के तहत आरोप तय किए जाएंगे. धारा 150 में भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य माना गया है। ऐसे में आम आदमी के अनुसार दोनों में फर्क क्या है। राजद्रोह भी उसी पर लगता था, जो देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता को खतरे में डालने का प्रयास करता था।
लोकसभा में जो बिल पेश किए गए है, उनमें अमित शाह ने कहा है कि भारतीय न्याय संहिता-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक-2023 को आगे की जांच के लिए संसदीय पैनल के पास भेजा जाएगा। अमित शाह ने लोकसभा में कहा है कि नए कानून में हमारा लक्ष्य सजा देना नहीं है, बल्कि न्याय दिलाना होगा। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या अपराध करने वाले को दंडित करने का प्रावधान खत्म हो जाएगा।
विकास सिंह ने कहा कि देश के गृहमंत्री ने जिस तरह से कानूनों में संशोधन के लिए बिल पेश किया है, उसे देखकर तो यही लगता है कि उनकी मानसिकता कानून संशोधन की नहीं, बल्कि कांग्रेस की राजनीतिक क्रियाकलाप को लेकर है।

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