ईश्वर और बैराग्य से ही जीवन सुखमय– राघवेंद्र जी महाराज सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा का हुआ समापन।

पिंडरा।
पिंडरा स्थित श्री लक्ष्मी नारायण मन्दिर बाजार में चल रहे श्रीमद भागवत कथा के अंतिम दिन प्रयागराज से पधारे कथामर्मज्ञ ब्यास श्री राघवेन्द्र जी महाराज ने कहाकि मनुष्य को ज्ञान और बैराग्य की प्राप्ति होने से सुख की प्राप्ति होगी।
उन्होंने कहाकि ईश्वर से जुड़ना ही ज्ञान है , भौतिक सुखों से आच्छादित करने वाले वस्तु के प्रति मन को नियंत्रित ही बैराग्य है। ज्ञान और बैराग्य से ही ब्यक्ति को आध्यत्मिक सुख मिल सकता है। कथा के दौरान आगे राघवेंद्र जी ने कहाकि जब माया ठगनी ने ब्रह्मा ज्ञानी को ठगने से नही थकी तो हम जैसे तुच्छ लोगों का बिधाता ही मालिक हैं। कथा को आगे बढ़ाते हुए कहाकि सुखदेव जी अपनी मां के गर्भ मे बारह वर्ष रह गये और बड़े ही अनुनय विनय के बाद जन्म लेने पर जंगल में भाग गये। वह जीवन को ईश्वर और बैराग्य के लिए सांसारिक सुखों को छोड़ कर गए।
ब्यक्ति को जीवन मे कभी अपने का घमंड नही बल्कि ज्ञान और बैराग्य को अपनाना चाहिए।
कथा के दौरान महेश जायसवाल, कृष्ण कुमार मोदनवाल, राधेश्याम अग्रहरी, धर्मेंद्र सोनी, विशाल जायसवाल, संन्तोष जायसवाल, पवन मोदनवाल, कल्लू मोदनवाल समेत अनेक महिला व पुरूष रहे। कथा के अंत मे माताओं ने मधुर सोहर गाया । श्री लक्ष्मी नारायण मन्दिर धर्मार्थ न्यास परिषद के अध्यक्ष रमेश जायसवाल ने आरती किया। इसके बाद प्रसाद का वितरण किया गया।

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