पूर्वांचल में पुरनियों से फिसल रही हैं कांग्रेस का हाथ, ललितेश के इस्तीफे के बाद डैमेज कंट्रोल की तैयारी

वाराणसी प्रदेश में आगामी वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए सभी छोटी-बड़ी पार्टियां कमर कस चुकी हैं। सभी पार्टी इस समय युवाओं और ब्राह्मण मतदाताओं पर केंद्रित है। जाहिर है 3 2 वर्षों से सत्ता से बाहर कांग्रेस भी वर्ष 2022 में प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने के लिए लालायित है। कांग्रेस के रणनीतिकारों की मानें तो उनको बखूबी पता है कि यूपी में किला फतह करना है तो पूर्वांचल जीतना होगा। इसकी नींव तैयार करने कोशिश में जुटी कांग्रेस से ललितेशपति त्रिपाठी ने इस्तीफा देकर पार्टी की बुनियाद हिलाकर रख दिया है। पार्टी पूर्वांचल जीतने के लिए बनारस को केंद्र मान रही है। जबकि हाल यह है कि पार्टी यही समृद्ध नहीं है। जानकारों की मानें तो शीर्ष नेतृत्व का विश्वास जहां जमा है वहां पुरनिए हाथ से फिसलते जा रहे हैं।तीसरे हाउस से युवाओं का है मजबूत जुड़ाव : एक दौर था जब कांग्रेस की नीतियां औरंगाबाद हाउस से बनती-बिगड़ती थी। उसके बाद उस हाउस में सेंधमारी करके पूर्व सांसद डा. राजेश मिश्रा ने खजूरी हाउस बनाया। हालांकि यह हाउस पांच साल से ज्यादा चल नहीं सका। अब युवाओं को साथ लेकर पूर्व विधायक अजय राय महामंडल नगर हाउस को तैयार कर रहे हैं। हालांकि यहां युवाओं को खूब तरजीह मिल रही है। लेकिन पुरनिए इस हाउस में फिट नहीं बैठ रहे हैं। वहीं पुरनियों के साथ जुड़े युवा भी इस हाउस से तालमेल नहीं स्थापित कर पा रहे हैं। जिसकी नाराजगी ललितेश पति के इस्तीफे के रूप में दिखाई दी।

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