संबंधता खत्म के बाद भी केराकत कोतवाली में अंगद की तरह पांव जमाये बैठा हैं सिपाही
केराकत जौनपुर।
शासन पर भारी एक सिपाही ,
जौनपुर जनपद के पुलिस महकमे में एक ऐसा सिपाही है जो कहने को तो सिपाही है लेकिन अपने को कप्तान और किसी इंस्पेक्टर से कम का रुतबा नहीं रखता है। बताया जाता है कि अधिकारी की बात वह नहीं अधिकारी उसकी बात मानते हैं। जिसका कारण बताया जाता है कि सत्ता पक्ष के एक स्वजाति सफेदपोश का रिश्तेदार होना बताया जाता है, बताते चलें कि अपने को एस०ओ०जी० सिपाही बताने वाले चर्चित सिपाही की कार्यशैली को लेकर हमेशा दबी जुबान विभागीय और आम जन में तीखी प्रक्रियाओं का विषय बना हुआ है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार जहां इलाहाबाद उच्च न्यायालय का स्पष्ट आदेश है कि कोई भी अधिकारी व कर्मचारी किसी भी जनपद में 10 साल से अधिक समय तक तैनात नहीं रह सकता है, उक्त चर्चित सिपाही अखिलेश चौधरी जिसका विभागीय बैच नंबर 0623 815 34 है।उपरोक्त का स्थानांतरण बीते लगभग 10 माह पूर्व तमाम शिकायतों के बावजूद केराकत कोतवाली से जिले के बक्सा थाना हुआ था। तैनाती आदेश की अवहेलना करने और तैनाती स्थल पर ना ज्वाइन करने के कारण तत्कालीन पुलिस अधीक्षक द्वारा लाइन हाजिर भी कर दिया गया। बताया जाता है कि कुछ राजनैतिक सफेदपोश संरक्षण के कारण उक्त कांस्टेबल ने अपना स्थानांतरण थाना चंदवक कराने के साथ केराकत कोतवाली से सम्बद्ध करा कर ही अपनी पुर्वरतः गतिविधियों को पुनः अंजाम देने का खेल शुरू कर दिया है। चंदवक थाने में तैनातगी के साथ-साथ अपनी नियुक्ति एस०ओ०जी० में करा लिया। केराकत संबद्धता के साथ भारी शिकायतों के चलते पुलिस लाइन जौनपुर कर दिया गया वहां से पुनः एस०ओ०जी० में चला गया। राजनैतिक सफेदपोश के चलते जौनपुर कोतवाली में तैनातगी के साथ एनकेन प्रकरेण मालदार केराकत कोतवाली का मोह सताता रहा। अपने राजनीतिक पहुंच और उच्चाधिकारियों की खुशामदगी में माहिर कांस्टेबल ने तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक का थाना लाइन बाजार से केराकत कोतवाली स्थानांतरण होने के साथ ही अपना स्थानांतरण पूनः केराकत कोतवाली करा लिया। प्रश्न उठता है कि उक्त कांस्टेबल घूम फिर कर केराकत कोतवाली में क्यों बने रहना चाहता है तो बताया जाता है कि केराकत कोतवाली अंतर्गत नरहन मोहल्ले में इनकी सगी बहन की ससुराल है ।दूसरा प्रश्न यह उठता है कि केराकत कोतवाली में क्यों तैनातगी कराकर अंगद की भांति पैर जमाए हुए हैं। सूत्र बताते हैं कि अवैध मादक पदार्थों और अन्य गलत कार्यों में लिप्त गौतस्करी के धंधे करने वाले तत्वों को जहां इनका संरक्षण मिलता रहा है वही उसके एवज में प्रतिमाह लाखों रुपए की मोटी कमाई होती रही है। केराकत कोतवाली के मोह से दूर होने नहीं दे रहा है।समय रहते इन्हें केराकत कोतवाली से हटाकर जिले से बाहर नहीं किया गया तो विभागीय छवि को धूमिल होने से बचा पाना काफी टेढ़ी खीर साबित होगा। एक कांस्टेबल प्रदेश की योगी सरकार की गाइडलाइन की खुलेआम धज्जियां उड़ाते हुए शासन सत्ता को ही चुनौती दे रहा है।
जिला संवाददाता पंकज सिंह जौनपुर
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