बीर रस, करुण रस, हास्य रस के साथ संगीत की सारी विधाओं का बिरहा में है समावेश

*भक्ति रस में डूबे रहे श्रोतागण।

हरहुआ। आयर बाजार में बारह दिवसीय बिरहा दंगल के दूसरे दिन दीपक सिंह वाराणसी और सुमित्रा नंदिनी इलाहाबाद के बीच जोरदार मुकाबला हुआ। गायकों ने सदगुरु, भक्त और भगवान की महिमा का गुणगान किया। जिससे श्रोता भक्ति रस में भीगते रहे।
सुमित्रा नंदिनी ने सदगुरु की महिमा का वर्णन किया। उन्होंने अपने बिरहा गीत के माध्यम से बताया कि सदगुरु भगवान के शरण में रहकर जीवन के आवागमन से छुटकारा पा सकते हैं, गुरु ही जीवन का खेवनहार है। इनके जवाब में दीपक सिंह ने भक्त जब संकट में पड़ता है तो भगवान को आना पड़ता है। ध्रुव, प्रह्लाद, गज, लक्षागृह, विभीषण की कुटी आदि प्रसंग से पूरा माहौल भक्तिमय बना दिया।
कार्यक्रम के दूसरे दिन के मुख्यअतिथि बनवारी लाल यादव ने कहा कि बिरहा में बीर रस, करुण रस, हास्य रस का भाव तो मिलता ही है इसके साथ संगीत की सारी विधाओं का समावेश है। गांव की महिलाओं द्वारा गाये जाने वाले क्षेत्रीय गीत से शास्त्रीय संगीत का भी अहसास होता है।
स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज द्वार लिखित यथार्थ गीता के दूसरे अध्याय का पाठ जनार्दन पाठक एवं डा नीलरतन बैरागी ने पढ़ा। बारह दिवसीय बिरहा दंगल एवं यथार्थ गीता कमेटी के अध्यक्ष दिनेश यादव ने गायकों का सम्मान बनारसी साफा बांध कर किया। आर0 डी0 यादव ने यथार्थ गीता भेंट की। गजानंद यादव ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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