वाराणसी में बाढ़ राहत शिविर में लगे पंखे में उतरा करंट, महिला की मौत

वाराणसी में बाढ़ की विभीषिका के बीच रविवार शाम एक दर्दनाक घटना घट गई। लंका थाने के पीछे स्थित बाढ़ राहत शिविर में लगे पंखे में उतरे करंट से महिला की मौत हो गई। मृतका के पति की डेढ़ साल पहले ही मौत हो चुकी है। तीन बच्चे किशन, अजय और बेटी खुशी का रो-रोकर बुरा हाल है। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया। नगवां क्षेत्र स्थित एक मकान में रूबी साहनी (36) किराए पर रहती थी। वह घरों में चूल्हा-बर्तन कर तीनों बच्चों का पालन पोषण करती थी। गंगा में बाढ़ के कारण वो इन दिनों अपने परिवार के साथ लंका थाने के पीछे स्थित बाढ़ राहत शिविर में रह रही थी। रविवार दोपहर रूबी साहनी टेंट में लगे टेबल फैन को अपने ओर घुमा रही थी। इस दौरान पंखे में उतरे करंट की चपेट में आ गई। टेंट के आसपास मौजूद लोगों ने आनन-फानन पंखे से तार को अलग किया और रूबी को लेकर अस्पताल गए। जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पिता और फिर मां को खो चुके तीनों बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। रूबी की मौत की सूचना पर उसका भाई विक्की साहनी अपनी मां को लेकर मौके पर।

शिविर में रहने आए लोगों का आरोप है कि

नगर निगम की तरफ से लगवाए गए शिविर के अंदर पंखा में करंट उतर रहा था, जिसे बिना चेक किए ही शिविर में लगा दिया गया। शिविर के लोगों ने कहा कि बाढ़ राहत शिविर के निरीक्षण को दोपहर जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा भी टीम के साथ पहुंचे थे और शिविर से 50 मीटर दूर लगे अंडर ग्राउंड बिजली के बोर्ड से बाहर निकले तार को ठीक करने के लिए निर्देशित किया बच्चों के नहीं थम रहे आंसू, बोले, मां के बगैर कैसे रहेंगे डेढ़ साल पूर्व राजघाट निवासी पति कल्लू साहनी की बीमारी से मौत हो गई। इसके बाद रूबी को उसकी मां बेबी और भाई विक्की ने नगवा बुलवा लिया था। नगवा में मुन्ना के घर में किराये का कमरा लेकर अपने बच्चों के संग रहने लगी और आसपास घरों में बर्तन और चूल्हा, चौका करके बच्चों का पेट भर रही थी।

मां की मौत से बच्चे बेसुध रहे बड़ा बेटा किशन (17), बहन खुशी (10) और छोटे बेटे अजय (8) की आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे। वहीं, नानी और मामा भी दोहरे गम में डूबे रहे। आखिरकार अनाथ बच्चों की अब परवरिश कौन करेगा। आसपास के लोगों ने पीड़ित परिवार को आर्थिक मुआवजा दिए जाने की मांग

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