यूपी चुनाव 2022: पूर्वांचल की इन सीटों पर भाजपा की कड़ी नजर, कहीं म‍िली थी हार तो कहीं थी कांटे की टक्‍कर

गोरखपुर

 वैसे तो भाजपा चुनावी दृष्टि से लंबे समय से काम कर रही है लेकिन चुनाव की तिथि घोषित होने के बाद उसका प्रयास लक्ष्य केंद्रित होता दिखने लगा है। पार्टी नेतृत्व का उन सीटों पर विशेष फोकस है, जिन्हें 2017 के चुनाव में पार्टी ने खो दिया था या जहां पार्टी के प्रत्याशी को जीतने से पहले निकटतम प्रतिद्वंद्वी से काटें की टक्कर मिली थी। गोरखपुर-बस्ती मंडल की बात करें तो पिछले विधानसभा चुनाव में दोनों मंडलों की 42 सीटों में 36 सीटों पर जीत हासिल हुई थी और दो सीटें भाजपा समर्थित दल के प्रत्याशी के हिस्से आई थीं। यानी चार सीटों पर सीधे तौर पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था जबकि दो पर समझौता। इसके अलावा पांच ऐसी सीटें थीं, जहां भाजपा के प्रत्याशी को निकटतम प्रत्याशी से कांटे की टक्कर मिली थी। यानी इस बार समझौते वाली सीटों को लेकर कुल 11 सीटों पर भाजपा को हर हाल में मशक्कत करनी ही पड़ेगी, जो पार्टी नेताओं ने शुरू कर दी है।

यहां हुआ था करीबी मुकाबला

जिलावार बात करें तो गोरखपुर की नौ सीटों में चिल्लूपार की सीट हार गई थी। हालांकि वहां बसपा प्रत्याशी विनय शंकर तिवारी को भाजपा प्रत्याशी राजेश त्रिपाठी ने कड़ी टक्कर दी थी, बावजूद इसके 3000 से ज्यादा वोटों से हार मिली थी। इसके अलावा पिपराइच सीट पर भाजपा प्रत्याशी महेंद्र पाल सिंह मतगणना के अंतिम चरण में जीत हासिल कर सके थे। उन्हें करीब 4400 वोट से ही विजय मिल सकी थी। देवरिया में भाटपार रानी की सीट भाजपा लहर के बावजूद सपा के खाते में चली गई थी, इसलिए इस बार भाजपा का इस सीट पर विशेष ध्यान है। रामपुर कारखाना में भाजपा प्रत्याशी कमलेश शुक्ल ने सपा प्रत्याशी गजाला लारी को 10 हजार वोटों से हराया था लेकिन परिणाम तक दोनों के बीच कड़ा मुकाबला माना जाता रहा।

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